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पिछली पोस्ट में हमने कृषि प्रबंधन के बारे में Reet syllabus के अनुसार तैयार किया था तो आज कृषि प्रबंधन में फसलों के प्रकार वह कृषि पद्धति या खेती के चरण के बारे में पड़ेंगे तो पोस्ट को पूरा पढ़ें साथ ही अगर आपने कृषि प्रबंधन पार्ट - 1 नहीं पढ़ा है तो उसका लिंक नीचे दिया गया है तो उसे जरूर पढ़ें तो शुरुआत करते हैं -
Part - 2
फसलों के प्रकार
ऋतुओं के आधार पर फसलों को मुख्य रूप से तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है-
- रबी की फसल
- खरीफ की फसल
- जायद फसल
० रबी की फसल : यह अक्टूबर से फरवरी के मध्य की फसल होती है ।
जैसे : गेहूँ, जौ, चना, मटर, सरसों आदि ।
जैसे : गेहूँ, जौ, चना, मटर, सरसों आदि ।
० खरीफ की फसल : यह जून से सितम्बर के मध्य की फसल होती है ।
जैसे : ज्वार, मक्का, मूँगफली, तिल, मूँग, उड़द आदि ।
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जायद फसल |
० जायद फसल : यह मार्च से जून के मध्य की फसल होती है।
जैसे : खरबूजा, तरबूज, ककड़ी लौकी आदि ।
जैसे : खरबूजा, तरबूज, ककड़ी लौकी आदि ।
कृषि पद्धतियाँ (खेती के चरण)
किसी फसल का उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसान को कई प्रकार के क्रिया कलाप (कार्य) फसल के बोने से लेकर काटने तक करने होते हैं । किसान द्वारा फसल उत्पादन के लिए किए जाने वाले ये क्रियाकलाप ही कृषि पद्धतियाँ कहलाती हैं । क्या आपने कभी सोचा है कि किसान द्वारा फसल का उत्पादन किन-किन प्रक्रियाओं द्वारा किया जाता हैं?
खेती के निम्नलिखित मुख्य चरण हैं-
- मिट्टी तैयार करना
- बुआई करना
- खाद या उर्वरक देना
- सिंचाई करना
- फसल की सुरक्षा करना
- फसल काटना
- अनाज का भण्डारण करना
मिट्टी तैयार करना
आप अपने आसपास के खेतों में गए होंगे । आपने देखा होगा कि खेत के कई भाग कई बार खाली दिखाई देते हैं तो कई बार उनमें फसलें दिखाई देती है । फसल की बुआई से पहले खेत में क्या-क्या किया जाता हैं? आइए जानें- सबसे पहले किसान खेत में हल चलाता है। खेत में हल चलाने के कौन-कौनसे साधन आपने देखे हैं? खेत मे हल चलाने के निम्नलिखित अलग-अलग साधन हो सकते हैं
जैसे-
- पशुओं द्वारा (पारम्परिक तरीका)
- ट्रैक्टर द्वारा
बुआई करना
खेत में फसल की बुआई से पहले हल क्यों चलाते हैं?
फसल उगाने से पहले किसान सबसे पहले मिट्टी को तैयार करता है। वह खेत में हल चलाकर मिट्टी को उलट-पलटकर पोली कर देता है। पोली मिट्टी के लाभ निम्नानुसार हैं-
बीज ऊपरी परत से थोड़ा नीचे चला जाता है इससे अंकुरण सरलता से हो जाता है।
नए पौधे की जड़ें आसानी से गहराई तक जा सकती हैं । नए पौधों की जड़ें आसानी से श्वसन कर सकती हैं।
मिट्टी में रहने वाले लाभदायक सूक्ष्म जीवों, केंचुओं की वृद्धि करने में पोली मिट्टी सहायक होती है।
मिट्टी की ऊपरी परत कुछ गहराई तक पौधों की वृद्धि में सहायक होती है, पलटने से यह समान रूप से ऊपर नीचे हो जाती है-
मिट्टी में हल चलाकर उलट-पलटकर, पोला बनाना ही जुताई कहलाता है।
कृषि के औजार किसान जुताई के लिए विभिन्न प्रकार के कृषि औजार उपयोग में लेता है।
जैसे-हल, कुदाली, कल्टीवेटर आदि ।
बुआई करना किसान खेत की जुताई करने के बाद, खेत में बोई जाने वाली फसल के बीजों की बुआई का कार्य कि करता है, किसान खेत में बीज बोने से पूर्व उत्तम किस्म के बीज चयनित करता है। ऐसे बीजों का चयन किया जाता है जो स्वस्थ हों, जिससे अधिक फसल का उत्पादन किया जा सके।
नए पौधे की जड़ें आसानी से गहराई तक जा सकती हैं । नए पौधों की जड़ें आसानी से श्वसन कर सकती हैं।
मिट्टी में रहने वाले लाभदायक सूक्ष्म जीवों, केंचुओं की वृद्धि करने में पोली मिट्टी सहायक होती है।
मिट्टी की ऊपरी परत कुछ गहराई तक पौधों की वृद्धि में सहायक होती है, पलटने से यह समान रूप से ऊपर नीचे हो जाती है-
मिट्टी में हल चलाकर उलट-पलटकर, पोला बनाना ही जुताई कहलाता है।
कृषि के औजार किसान जुताई के लिए विभिन्न प्रकार के कृषि औजार उपयोग में लेता है।
जैसे-हल, कुदाली, कल्टीवेटर आदि ।
बुआई करना किसान खेत की जुताई करने के बाद, खेत में बोई जाने वाली फसल के बीजों की बुआई का कार्य कि करता है, किसान खेत में बीज बोने से पूर्व उत्तम किस्म के बीज चयनित करता है। ऐसे बीजों का चयन किया जाता है जो स्वस्थ हों, जिससे अधिक फसल का उत्पादन किया जा सके।
खाद एवं उर्वरक देना
आपने खेत में किसान को खाद डालते हुए भी देखा होगा, बताइए किसान खेत में खाद क्यों डालता है?
मिट्टी में पोषक तत्वों के स्तर को बनाए रखने या मिट्टी की उर्वरता (उपजाऊपन) बनाए रखने के लिए कुछ पदार्थ मिट्टी में मिलाए जाते हैं। जिन्हें खाद एवं उर्वरक कहते हैं ।
खाद व उर्वरक में अन्तर
हमने यहाँ मिट्टी की उर्वर क्षमता बढ़ाने वाले दो प्रकार के पदार्थों के नाम पढ़े हैं खाद एवं उर्वरक ।
इन्हें आपने भी खेतों में डालते हुए देखा होगा, दोनों ही मिट्टी की उर्वर क्षमता बढ़ाते हैं फिर भी इनके नाम अलग-अलग क्यो हैं? इन दोनों में क्या अन्तर हैं? आइए जानें-
खाद प्राकृतिक एवं जैविक है परन्तु उर्वरक कृत्रिम है ।
प्राकृतिक खाद खेतों में बनाई जाती है जैसे - गोबर की खाद (कम्पोस्ट खाद) व वर्मी कम्पोस्ट खाद जबकि उर्वरक फैक्ट्रियों में तैयार किए जाते है जैसे : यूरिया, अमोनियम सल्फेट, सुपर फॉस्फेट, पोटाश आदि ।
खाद उर्वरक से बेहतर हैं प्राकृतिक खाद में ह्यूमस की मात्रा अधिक होती है तथा ये मृदा की उर्वरा क्षमता को बढ़ाता है जबकि उर्वरक में हयूमस का अभाव होता है । अत: जैविक खाद का उपयोग ज्यादा करना चाहिए ।
खाद प्राकृतिक एवं जैविक है परन्तु उर्वरक कृत्रिम है ।
प्राकृतिक खाद खेतों में बनाई जाती है जैसे - गोबर की खाद (कम्पोस्ट खाद) व वर्मी कम्पोस्ट खाद जबकि उर्वरक फैक्ट्रियों में तैयार किए जाते है जैसे : यूरिया, अमोनियम सल्फेट, सुपर फॉस्फेट, पोटाश आदि ।
खाद उर्वरक से बेहतर हैं प्राकृतिक खाद में ह्यूमस की मात्रा अधिक होती है तथा ये मृदा की उर्वरा क्षमता को बढ़ाता है जबकि उर्वरक में हयूमस का अभाव होता है । अत: जैविक खाद का उपयोग ज्यादा करना चाहिए ।
जैविक खाद के लाभ
ये खाद मिट्टी का पुनर्गठन करने में अधिक सक्षम हैं ।
इस खाद में लाभदायक जीवाणुओं की वृद्धि तेजी से होती है ।
इससे मिट्टी पोली बनी रहती है जिससे जड़ों में श्वसन क्रिया सरलता से होती है।
जैविक खाद से मिट्टी की जल धारण करने की क्षमता बढ़ जाती है ।
आज आपने क्या सीखा
ऋतुओं के आधार पर फसलों के प्रकार कितने होते हैं ?
- रबी
- खरीफ
- जायद
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